शिकायतों का दौर थमा, क्या राजनीति के कारण नतमस्तक हुआ प्रशासन, मामला आलोरी गरवाड़ा में शासकीय भूमि पर बनी 11 दुकानों का, SDM की चेतावनी, दिए नोटिस, भूमाफियाओं के नही पड़ रहा कोई असर, आखिर कब होगी भू माफियाओं के चंगुल से शासकीय जमीन मुक्त

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नीमच। जिले के जावद तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम आलोरी गरवाड़ा में सर्वे नंबर 47 की शासकीय भूमि पर कथित तौर पर बनी 11 दुकानों का मामला लगातार गरमाया हुआ था। जिसकी शिकायत हर मंगलवार राकेश चारण द्वारा जनसुनवाई में की जा रही थी। जिसके बाद प्रशासन मामले को गंभीरता से लेते हुए 27 मई को शिकायत के आधार पर जावद एसडीएम प्रीति संघवी द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर दुकानों का मौका मुआयना किया। जांच में यह भी स्पष्ट पाया गया कि 11 दुकाने शासकीय जमीन पर ही निर्मित है। एसडीएम ने सभी दुकान मालिकों को स्वंय दुकान हटाने के सख्त निर्देश दिए थे और ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी। साथ ही मौके पर पटवारी द्वारा पंचनामा भी बनाया गया था। बावजूद आज तक आलोरी गरवाड़ा गांव में अवैध दुकानों के खिलाफ दी गई चेतावनी का कोई असर भू माफियाओं पर नहीं देखने को मिला है। एसडीम की दी गई चेतावनी सिर्फ भू माफियाओं तक ही सीमित रह गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भू माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। जिसके चलते प्रशासन इन भू माफियाओं के आगे पूरी तरह नतमस्तक हो चुका है। बताया जाता है कि राजस्व विभाग में भी यहां भूमि सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं। इसके बावजूद भी माफियाओं ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर लिया है। जो कही ना कही एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। मध्य प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव भू माफियाओं को लेकर सख्त दिखाई देते है। उनके प्रदेश में स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी प्रकार के माफिया को हमारे प्रदेश में पनपने नहीं देंगे। जावद विधानसभा में भाजपा के विधायक होने के बावजूद भू माफिया खुलेआम शासकीय जमीनों पर कब्जा कर खुलेआम पनप रहे हैं। साथ ही प्रशासन भी सिर्फ चेतावनी तक सीमित कार्रवाई कर रहा है आज तक प्रशासन भी भू माफियाओं के चंगुल से शासकीय जमीन मुक्त नहीं करा पाया।

राजनीतिक संरक्षण में दोनों पक्षों में हुआ समझौता, प्रशासन पस्त –
उक्त मामले में यह भी खबर है कि राजनीतिक संरक्षण यहां बड़ा हावी हुआ है, और दोनों ही शिकायतकर्ता साफ तौर पर कही न कही सत्ता दल के समर्थक हैं। ओर सूत्र बताते हैं कि गांव के सरपंच सहित अन्य लोगों ने उक्त मामले में दोनों ही पक्षों में समझौता करा दिया है। जिसके चलते शिकायतों का सिलसिला थम सा गया है। ओर सब कुछ सार्वजनिक होने पर भी एक तरीके से मामले को दबाने का काम कर दिया गया है। जिसके चलते प्रशासन भी कार्यवाही के बजाय पस्त होकर चुपचाप बैठा है। जिसे देख कर तो ऐसा लगता है कि जावद विधानसभा के इस गांव में वो कहावत चरितार्थ हो गई है, कि सियासत मुफलिसो पर कुछ इस तरह एहसान करती हैं। आंखें छिनती हैं,ओर चश्में दान करती हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि जिले के ईमानदार कलेक्टर इन भूमाफियाओं के चंगुल से शासकीय भूमि को मुक्त करवाते हैं या राजनीतिक सरक्षंण में मामले को रफा दफा कर दिया जाएगा।

इनका कहना……
इस मामले में संबंधित को नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे गए हैं। फिलहाल दस्तावेज आए नहीं हैं, जिसके लिए रिमाइंडर देने की कार्यवाही जारी हैं। राजीनामे को प्रशासन एक्सेप्ट नही करता हैं। उनके द्वारा आवासीय पट्टा होने की बात कही गई हैं। जिसके लिए हमारे द्वारा दस्तावेज मांगे गए हैं। मौके पर 2 दुकानों में व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा था बाकी में आवासीय सामग्री पाई गई थी।

प्रीति संघवी, एसडीएम जावद

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