नीमच। जिले के जीरन तहसील के ग्राम पंचायत कुचड़ोद की सरपंच शांतिबाई पति दुर्गाशंकर मेघवाल ने अपने खिलाफ 5 जून, 2025 को पारित अविश्वास प्रस्ताव/संकल्प की वैधता को चुनौती दी है। उन्होंने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 21 (4) के तहत पीठासीन अधिकारी और तहसीलदार जीरन के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया है। आवेदन में सरपंच शांतिबाई मेघवाल ने आरोप लगाया है कि अविश्वास प्रस्ताव नियमों और अधिनियम का घोर उल्लंघन करते हुए पारित किया गया है। उन्होंने इस प्रस्ताव पर असंतुष्टि व्यक्त करते हुए नियत 7 दिनों की समय-सीमा के भीतर यह विवाद प्रस्तुत किया है।
आवेदक का कहना है कि 5 जून, 2025 को पारित प्रस्ताव/संकल्प पूरी तरह से अवैधानिक है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। साथ ही मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम के तहत ग्राम पंचायत निर्वाचित पंच और सरपंच सहित गठित होती है। हालांकि, वर्तमान प्रस्ताव में केवल 18 निर्वाचित सदस्यों को ही शामिल किया गया है, जो अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है। इस आधार पर भी प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की गई। साथ ही आवेदक ने धारा 21 (2) का हवाला देते हुए कहा है कि सरपंच को अविश्वास प्रस्ताव के सम्मेलन में बोलने और अपना पक्ष रखने का अधिकार होता है, जिसका उल्लंघन किया गया है।
शांतिबाई मेघवाल ने इस मामले में न्याय की गुहार लगाते हुए जाँच करने कि मांग कि गई।
इनका कहना है –
ग्राम पंचायत कनावटी के पूर्व सरपंच मुरारीलाल वर्मा ने भी शान्तीबाई के पक्ष में बयान देते हुए कहा कि पंचायत अधिनियम के तहत सरपंच को भी वोट डालने का अधिकार होता है, किंतु कुचड़ोद में अधिकारियों द्वारा इस अधिकार को रोका गया, जो नियमों के विरुद्ध है। उन्होंने भी दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। इस पूरे मामले में कलेक्टर से संकल्प को अपास्क घोषित करने और दोषी अधिकारियों पर विधि अनुसार कार्रवाई की मांग की गई है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर शिकायत पर क्या कदम उठाता है।
मुरारीलाल वर्मा
पूर्व सरपंच कनावटी
अपन ने किसी को रोका नहीं है, हमने सरपंच को बुलाया था पर वो नहीं आई, हमने किसी को नहीं रोका।
यशपाल मुजाल्दा
तहसीलदार जीरन









