नगर परिषद की हठधर्मिता के चलते फिर शासकीय विद्यालय की भूमि नीलामी की ओर, नगर के जिम्मेदार है मौन

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रिपोर्ट-सुनील माली
नीमच। नगर सरवानिया महाराज ग्वालियर रियासत का एक गांव रहा, जिसका अपना एक अलग इतिहास रहा है, एक पहचान रही है, नगरवासीयो ने बताया है कि सरवानिया महाराज के मुख्य रोड़ पर ठाकुर साहब स्व.गोविन्द सिंह ज़ी राणावत ने अपने सरपंच कार्यकाल में वर्ष 1967-68 में पहला ग्राम पंचायत भवन बनवाया, जो उस समय गांव लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी, नगर के लिए एक मिशाल था, जिला मुख्यालय से सरवानिया महाराज महज 17 किलो मीटर है, अब यह गांव गांव नहीं रहा नगर बन चुका है और कई अवसरों पर सुर्खियों में बना रहता रहा है, तत्कालीन ग्राम पंचायत से वर्ष 2014 में पहली बार नगर परिषद गठन का हुआ तब अध्यक्ष सीट महिला आरक्षीत होने से पहली बार नगर परिषद अध्यक्ष पद पर प्रथम महिला पुखराज जाट अध्यक्ष बनी, जिनके कार्यकाल में नगर में काफी विकास भी हुआ,नगर में करीब 600 से ज्यादा प्रधानमंत्री आवास बनाकर हर गरीब के मकान का सपना साकार किया और नगर में जरुरतबंद लोगो के 700 शौचालय बनाए और शासन कि जनकल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर लागू कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, श्रीमती जाट ने नगर के विकास के नाम पर नगर में निर्मित ऐतिहासिक ग्राम पंचायत भवन को नही तोड़ा तथा शासकीय विद्यालय के मैदान भूमि को भी नहीं बेचा,श्रीमती जाट का एक शानदार और यादगार कार्यकाल रहा है, दूसरी बार अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए, पार्षद चुनाव में 11 पार्षद भाजपा व 4 पार्षद कांग्रेस के जीते,अध्यक्ष पद के चुनाव हुए तब कांग्रेस के दो पार्षद अप्रत्यक्ष रुप से सुनियोजित तरीके से भाजपा के पाले में चले गये गए और अध्यक्ष के विजय जुलुस में शामिल होकर खूब जश्न मनाया, कांग्रेस को तो अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावक, समर्थक भी नही मिला, जिससे भाजपा को पूरी तरह वाक ओवर मिल गया,भाजपा पार्षदो ने भाजपा से योग्य, शिक्षित, होनहार अध्यक्ष रूपेंद्र सिंह जैन को अध्यक्ष चुना तब पार्षदो ने अपने आपको गौरान्वित महसूस किया और नगर जनता को भी एक उम्मीद थी कि नगर के लिए कुछ नया होगा और नगर का अच्छा विकास होगा,बता दे कि अध्यक्ष जैन ने एक नये जोश के साथ में नगर परिषद कि पहली व दूसरी बैठक में अत्यधिक प्रस्ताव लेकर सबको हैरान कर दिया,लेकिन पिछले तीन वर्षो में पार्षद व नगर कि जनता को आशाओ विपरीत काम हुए देखने को मिले, नगर परिषद के दूसरे कार्यकाल में नगर परिषद के निशाने पर शासकीय भवन रहे,सबसे पहले ठाकुर साहब गोविन्द सिंह ज़ी द्वारा निर्मित मजबूत ग्राम पंचायत भवन तोड़ा और तोड़कर ग्राम पंचायत की भूमि को नियमों के विरुद्ध निलाम कर दी, फिर नगर परिषद कि निगाह नगर के बिचोबीच मुख्य रोड़ पर बने शासकीय माध्यमिक विद्यालय भवन पर गई, जो स्कुल भवन वर्ष 1965 बना,बड़ा खेल मैदान वाला स्कुल है, जिसमे हर साल स्कुल मैदान में खेल प्रतियोगिता व बड़े बड़े आयोजन होते रहे है, अब स्कुल मैदान पर हॉस्पिटल का भवन निर्माणाधीन है, जिससे विद्यार्थी और खिलाड़ियों को स्कुल का खेल मैदान लगभग खत्म सा नजर आ रहा है, सूत्रों से पता चला है कि नगर परिषद कि मंशा है कि स्कूल भवन कि भूमि के मुख्य मार्ग पर दुकानों के लिए भूखण्ड कि निलामी करने का है, फिर नगर परिषद अध्यक्ष कि निगाह उपरेड़ा रोड़ पर बने शासकीय हायर सेकेंडरी स्कुल, सी. एम. राइज शासकीय स्कूल मैदान पर जा टिकी, जो नगर का एक मात्र खेल मैदान वाला स्कुल है, नगर परिषद अध्यक्ष ने तत्कालीन हल्का पटवारी से सांठ गांठ कर गुपचुप तरीके स्कुल प्रशासन कि बगैर जानकारी व एन.ओ. सी. के हाट मैदान के नाम से स्कुल कि भूमि नगर परिषद के आवंटित करवा ली, स्कुल भूमि को निलामी के लिए दैनिक समाचार पत्र में विज्ञत्ति प्रकाशित करवा दी, तब नगरवासीयो के जानकारी में पूरा मामला सामने आया, यह सर्व विदित है कि नगरवासी व आसपास के क्षेत्र कि जनता अच्छी तरह जानते है कि स्कुल मैदान को कैसे और किस तरह बचाया गया, स्कुल मैदान पर दबंगो ने कब्ज़ा कर लिया था, भूमि को दबंगो के कब्जे से मुक्त कराने के लिए तत्कालीन सरपंच स्व. डॉ. दिनेश ज़ी पुरोहित और गांव कि जनता को काफ़ी संघर्ष करना पड़ा तब जाकर स्कुल मैदान कि भूमि सुरक्षित रही, नगर वासियो का कहना है कि सनातन हिन्दू धर्म में परम्परा रही कि विद्यालय के लिए भूमि दी जाती और विद्यालय के लिए भूमि छोड़ी जाती रही, स्कुल के लिए भूमि देने के ऐसे कई अनुकरणीय उदाहरण है, जबकि नगर में शासकीय भूमि कि कमी नही है, सरवानिया महाराज के इतिहास में नगरवासियो को पहली बार देखने को मिल रहा है,स्कुल कि भूमि को रूपये पाने के लिए नीलाम किये जाने के लिए बाकायदा अख़बार में विज्ञप्ति प्रकाशित करना पड़ रही है, अब नगर के बुद्धजीवी पार्षद व नगरवासियो को आत्म चिंतन व सोचने की जरुरत है कि कही नगर के विकास के नाम पर विद्यालय के खेल मैदान को खत्म करने का षड्यंत्र तो नही है, सरवानिया महाराज में विषम परिस्थितियों में भी तत्कालीन ग्राम पंचायत के सरपंच ने स्कूल खेल मैदान कि भूमि को नही बेचा और विद्यार्थी एवं खिलाड़ियों के लिए सदैव स्कूल मैदान को बचाकर एक धरोहर के रुप में सुरक्षित रखा, सरवानिया महाराज के ग्राम पंचायत के किसी भी तत्कालीन सरपंच ने शासकीय संपत्ति को नहीं बेचा और विद्यालय के खेल मैदान भूमि को सुरक्षित रखा और तो और पूर्व अध्यक्ष श्रीमती पुखराज जाट ने भी विकास के नाम पर स्कुल कि भूमि को नही बेचा, सरवानिया महाराज के इतिहास में पहली बार नगर कि जनता को देखने में मिल रहा है कि विद्यालय कि भूमि को रूपये के लिए नीलाम करने के लिए अख़बार में विज्ञापन प्रकाशित करना पड़ रहा, जो बहुत ही निंदनीय व शर्मनाक है व नगरवासियो कहना है कि ऐसे मामले पर नगर के जिम्मेदार पूरी तरह मौन है,जो आश्चर्यजनक होकर चिंता का विषय है, नगरवासियो का कहना है कि स्कुल मैदान कि भूमि को लेकर पुरजोर विरोध होना चाहिए ताकि विद्यार्थी व खिलाड़ियों के लिए स्कुल के खेल मैदान कि भूमि को नीलाम होने से बचाई जा सके।

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